जाने पति के साथ चुदाई से ज्यादा देवर के साथ चुदाई में कैसे आया मजा?

दोस्तों नमस्कार तो कैसे हैं आप सभी लोग आशा करते हैं कि आप सभी बेहतरीन होंगे। आज की कहानी का नाम हैं देवर के साथ चुदाई।  

दोस्तों आपकी यह कहानी बहुत ही इंटरेस्टिंग होने वाली है। तो चलिए इस कहानी को शुरू करते हैं। मेरा नाम नीलम है और मैं 32 साल की हूं। 

मेरा रंग गोरा और हाइट 5 फुट 6  इंच हैं मैं  दिखने में खूबसूरत हूं मेरी खूबसूरती  हो देखकर  लोग मुझसे आकर्षित होते हैं। 

कहानी शुरू करने से पहले मैं आपको अपने बारे में और बाकी के बारे में बता देती हूं। मेरे पति का नाम कपिल है वह 34 साल के हैं और उनकी हाइट 5 फीट 9 इंच  है।

 समीर दिखने में बहुत ही सुंदर है वह मुझे बिल्कुल हीरो की तरह दिखता है। समीर ने एमबीए किया है और वह एक बड़ी कंपनी में मैनेजर के तौर पर काम कर रहे हैं। 

मेरे पति के एक भाई हैं बड़ा भाई पंकज जिनकी उम्र 36 साल है उनकी हाइट 5 फुट 10 इंच उन्होंने अपने आप को  बहुत ही मेंटेन करके रखा हुआ है। 

अब मैं आपको अपने बारे में तो बता चुकी हूं तो चलिए हम आपको बताती हूं कि हुआ क्या है।  

यह घटना करीब आज से 2 साल पहले की है मेरी जेठानी यानी कि रीना प्रेग्नेंट थी उन्हें  छठा महीना लगा हुआ था इसलिए वो अपने मायके चली गई थी।  

और मेरे पति भी 15 दिन के लिए काम के सिलसिले में ऑस्ट्रेलिया गए हुए थे। हमारे घर में मैं और जेठ जी बचे हुए थे।  

मैं आपको अपने घर का माहौल भी बताती हूं ताकि आप लोग हालत से समझ सके। मैं अपने जेठ जी के साथ   उनके ऑफिस में  काम करती हूं और उनके काम में मदद करती हूं मैं उनके साथ काफी समय बताती हूं। 

मेरा यह कहना गलत नहीं होगा कि मैं दिन के 24 घंटे में से 12 घंटे उनके साथ रहती हूं। हम सब जब घर  पर होते हैं तो हम आपस में मस्ती मजाक और अपनी बातें शेयर करते हैं। 

हमारी फैमिली काफी खुले विचारों की है। कभी कबार ऑफिस के काम के दौरान मेरी उनसे काफी बातचीत होती है और मुझे कहीं ना कहीं पंकज बहुत पसंद आते हैं।

 अनजाने में मैं पंकज को पसंद करने लगी थी।  शायद मुझसे गलती हो रही थी पर मैंने इन बातों पर कभी ज्यादा ध्यान नहीं दिया। 

इतना टाइम साथ में रहने से साथ में काम करने से मेरे दिल में उनके लिए  जगह बन गई थी। 

जैसा कि आप जानते ही हैं यदि आप किसी के साथ अपने ज्यादा समय बिताते हैं तो उनके लिए आपके मन में कुछ ना कुछ विचार तो जरूर आते हैं नहीं सब कुछ मेरे साथ भी हुआ।

रही बात पंकज की उनके मन में क्या चल रहा है वह मुझे आज तक पता नहीं चला।  ना कभी पंकज जी की कोई ऐसी हरकत की है जिसे मैं समझ सकूं  कि वह क्या चाहते हैं।  

और ना ही कभी मेरे मन में से पंकज जी के साथ कभी कुछ ऐसा करने का ख्याल आया. हम दोनों की आपस में एक तो  विकल्प मौजूद था।

जब भी मेरे पति घर पर रहते थे  तो मैं उनके साथ बहुत ही खुश रहती थी पर कभी कबार हम दोनों के बीच में  लड़ाई चलती रहती थी।  

मैं भाभी के साथ बात करती थी तो वह भी बता दीजिए क्योंकि हम दोनों के बीच में भी ऐसे ही चलता रहता है।  यह तो हमारी लाइफ में एक नॉर्मल सा था।

अक्टूबर नवंबर का महीना था भाभी को घर गए 15 16 दिन हो चुके थे और मेरे पति को  ऑस्ट्रेलिया गए  हुए 5 दिन हो गए थे।

मेरा पूरा दिन तो आराम से निकल जाता था अब जब भी रात होती थी मुझे अपने पति की बहुत याद आती थी। मैं फोन पर बात कर लेती थी।

मैं ऑफिस से थोड़ा जल्दी चली आती थी क्योंकि मुझे घर पर खाना बनाना होता था। घर पहुंचने के बाद एक काम करते करते अपने पति से बात कर लेती थी।

ऐसे ही 1 दिन की बात है उनसे मैं ऑफिस से जल्दी निकल गई थी और रास्ते में बारिश हो गई थी तो मैं बारिश में  भीग गई थी। घर पहुंचे पास जाना है जल्दी से अपने कपड़े बदले और भाभी की नाइटी  पहन ली। 

जल्दी-जल्दी क्या होगा जानबूझकर क्योंकि मुझे पता है अब भाभी तो  4-5 महीने से पहले आने वाली थी नहीं।  और कौन से  में रोज उनकी नाइटी पहनने वाली थी।  मुझे तो बस  सामने निघति दिखी और मने पहन ली।

मैं अपने काम में लगी काम करने के दौरान मैं अपने पति से बात करने लगी थी।  उस दिन मेरे पति भी फ्री है तो काम करते करते उनके साथ बातें करते हैं तो यह काफी टाइम  हो गया था।

 जब मैंने घड़ी की ओर देखा रात को 10:00  चुके थे।  इस समय पंकज जी के घर आने का समय हो गया था और  मैंने खाना नहीं बनाता था।

 मैं फटाफट खाना बनाने लगी और थोड़ी ही देर में दरवाजा  खुलने की आवाज आई। मैं समझ गई थी कि पंकज जी आ गए हैं।

 उनकी एक आदत  थी वह जब भी घर पर आते थे तो सीधा अपने बेडरूम में चले जाते थे। और फिर फ्रेश होने के बाद हॉल में आकर टीवी देखते  थे।

तो मैं खाना बनाने में और जल्दी करने लगी थी ऐसा करते हुए कुछ 5-7 ही  मिनट ही बीते थे। मैं रोटी बनाने  लगी थी। इतने में कोई पीछे से आया  और मैं चौक गई।

मैं कुछ बोलती उससे पहले ही पंकज जी ने मुझे अपनी तरफ घुमा लिया। शायद  वह नाइटी की वजह से मुझे अपनी पत्नी समझ बैठे थे। 

मेरे कुछ बोलने से पहले भी उन्होंने मुझे कुछ बोलने का मौका ही नहीं दिया क्योंकि मेरी और भाभी की हाइट  सेम ही थी।  

पंकज जी ने मेरी शक्ल देखी तो एकदम हैरान से हो गए थे। मैंने पंकज जी को कहा सॉरी सॉरी सॉरी। पंकज जी ने कहा अरे तुम उसके बाद कशमकश में पड़ गए थे।

तो इसमें पंकज जी की थोड़ी सी गलती थी और मेरी भी गलती थी कि मैंने उन्हें कहानी। सच कहूं तो मैं अकेली हूं और मेरे दिल में  पंकज के लिए थोड़ी सी जगह थी। 

उस समय मैं जानबूझकर चुप रही और मैं कुछ बोली नहीं। पंकज जी ने मुझे सॉरी कहा और कहा कि मुझे लगा मेरी पत्नी वापस आ गई है। अपनी पत्नी को सरप्राइज देने के  चक्कर में यहां पर आ गया। 

उसके आगे वो कुछ कहना चाहते थे।  हम दोनों थोड़ी देर वही पर ऐसे ही खड़े रहे।  कुछ देर चुप रहने के बाद उन्होंने बोलना शुरू किया।  

मेरी आज अपनी पत्नी से बात हुई थी उसने बोला की आज वो मुझे कुछ सरप्राइज देगी।  पीछे से जब मैंने तुम्हे देखा तो मुहे लगा मेरी पत्नी यहाँ आकर मुझे सरप्राइज देने आई हैं।  

इतने पंकज जी बोलने ही लग रहे थे तो बिजली की जोरदार चमकने की आवाज से मैं बहुत डर गई थी।  इतने मैं अपने को कुछ समझते और संभालती इतने में 2 – 3  बार दोबारा बिजली चमकी और मैं बहुत डर गई।  

डर के मारे मैंने पंकज को जोर से गले लगा लिया था।  इस रात को मैं ऐसे ही नहीं जाने देना चाह रही थी।  एकदम से लाइट चली गई थी।  

मैं और डर गई तो मैं पंकज जी को धका देते देते सोफे में उनके ऊपर ही गिर गई।  पंकज जी के ऊपर गिरते ही मेरे होठ पंकज जी के होठो से चिपक गए।  

पंकज जी भी हड़बड़ा गए थे पर वो अपनी जगह से हिले भी नहीं।  इतने में एक और बार बिचलि कड़कने की आवाज आई तो मैं उनके ऊपर लेटे हुए उन्हें पूरा जकड लिया।  

मेरे चुचे पंकज जी के छाती पर चपके हुए थे।  पंकज जी का भी लंड खड़ा हो गया था।  मुझे पंकज का लंड अपने शरीर पर पूरा मह्सुश हो रहा था।  

मैंने सरन ना करते हुए पंकज जी की पैंट उतारी और उनका कछा निचे करके उनके लंड को चूसने लगी।  

पंकज जी कहने लगे अरे नीलम ये क्या कर रहे हो तुम तुम मेरे भाई की पत्नी हो।  मैंने कहा पंकज जो आज मिझे रोकिये मत।  

मुझे बहुत डर लग रहा हैं और मैं इस रात को ऐसे खराब नहीं होने देना चाहती हूँ।  मैंने पंकज के लंड को जबरदस्त चूसने लगी।  

पंकज का लंड बड़ा लंबा और मोटा था करीब 7 इंच का लंड और एकदम कड़क।  पंकज ने भी अब होने सारे कपडे उतार दिए।  

उन्होंने मेरे भी सारे कपडे उतार मुझे गोद में लेकर चूमने लगे।  जैसा की मैंने आपको बताया था की पंकज जो हेट हेट थे।  

उन्होंने गोद में उठाते उठाते मुझे चूमते रहे और मेरी चूत में साथ के साथ लंड घुसा दिया।  पहले तो पंकज जो ने गोद में उठाये मुझे चोदा फिर वो मुझे अपने बैडरूम में ले गए।  

वह पंकज जी ने मुझे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गए।  मेरी दोनों टाँगे खोल मेरे चूत की सवारी करने लगे। 

पंकज जी के साथ चुदाई में बहुत ही मजा आ रहा था।  वो चोदने में एकदम मस्त थे। मेरे चुचो को मसलते हुए मेरी चूत मार रह थे।  

पंकज जी ने मुझे घोड़ी बनाया और खड़े होकर मेरी गांड में लंड घुसाने लगे।  मुझे दर्द हो रहा था पर मजा भी आ रहा था।  

जैसे ही पंकज जी ने मेरी गांड में लंड घुसाया मेरी चीख निकल आई। और बिस्तर पर लेट गई। 

पंकज जी ने फिर से कोशिश की और इस बार गांड के अंदर पूरा लंड घुसा ही दिया। ऐसे छोड़ने में तो अलग ही मजा आ रहा था। 

 कुछ देर ऐसी चुदाई के बाद पंकज जी थकने लगे थे। मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनके ऊपर चढ़ के ऊपर निचे करने लगी मुझे उस दिन चुदाई में बहुत मजा आया।  

कुछ देर बाद पंकज जी का वीर्य निकल गया था।  मैं पंकज जी के बगल में ही लेट गई थी।  हम दोनों को उस दिन चुदाई का बहुत मजा आया।

अब जब भी हमें ऐसा मौका मिलता हैं तो हम चुदाई करे हैं।  और आपस मे ही सो जाते हैं।  

तो दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी नीचे कमेंट बॉक्स में मैसेज करके जरूर बताएं। धन्यवाद।  

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